त्रेता युग में जब मर्यादा पुरुषोत्तम राम वन जा रहे थे तो भाई भरत ने उन्हें रोकने की बहुत कोशिस की... लेकिन भगवान राम ने भरत से पिता की आज्ञा और उनके वचन को अपना "शिरोधार्य" समझकर अपना धर्म निभाने से न रोकने के लिए कहा ... तब भरत निरुत्तर हो गए ...आते समय उनकी चरण पादुका (खराऊ) की माग की और उसी खराऊ को राजगद्दी पर रख कर अयोध्या का राज पाट सम्भाला..... इस प्रसंग को रामायण में राम भरत मिलाप नामक शीर्षक से जाना गया...आज भी देखने अथवा पढने से इतना मर्मस्पर्शी प्रतीत होता है की लोगो के आखो से अश्रु तक निकल जाते हैं ....!!!!
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निचोड़....
विचारधारा :1: अच्छी सोच धारण करने वाले लोग वास्तविकता को मानते हुए भरत को राम की चरण पादुका पूजने वाला एक आदर्श भाई माना ...!!
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विचारधारा :2: गलत सोच रखने वाले लोगो ने कहा अरे भरत तो बहुत बड़ा वाला कसाईं था ....सोचा की राम को जंगल में काटे कंकर पत्थर चुभे इसलिए उनका खराऊ ले लिया ....!!!
ठीक इसी प्रकार से कुछ लोग मानसिक बीमार हो चुके है ... ये मोदी के बारे में अपनी निम्न कोटि की बुद्धि से ही सोच सकते हैं, उन्हें गलत ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे...
रही बात यूथ की तो दिन प्रतिदिन यूथ का भरोसा मोदी जी पर बढ़ता जा रहा है, यूथ का भरोसा डेवलपमेंट पर बढ़ता जा रहा है। वास्तव में यह इतना प्रभावकारी होगा की जनता की समस्याओं को समाप्त कर देगा ....!!
Thursday, 30 June 2016
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